जबलपुर: प्रदेश सरकार द्वारा नए भू-अर्जन कानून के तहत अधिग्रहित जमीन का मुआवजा नहीं दिये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में चार याचिकाएं दायर की गई थीं. याचिका की सुनवाई के दौरान सभी संबंधित पक्षों द्वारा लिखित में अपना पक्ष प्रस्तुत किया. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने सभी याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई 23 जून को निर्धारित की गई है.
नए भू-अर्जन कानून 2013 के तहत ग्रामीण क्षेत्र में एक से दो गुना के बीच मिलना है अधिग्रहित जमीन का मुआवजा
नर्मदा बचाओ आंदोलन सहित अन्य चार की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि नए भू-अर्जन कानून 2013 के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में अधिग्रहित जमीन का मुआवजा एक से दो गुना के बीच दिया जाना है. शहरी क्षेत्र से जितनी दूरी अधिक होगी उसी अनुपात से मुआवजा राशि में बढ़ोतरी होगी. ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनों की कीमतें कम होने के कारण यह प्रावधान रखा गया था.