कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों और चिन्हों के दुरुपयोग को रोकने के लिए कई निर्देश जारी किए हैं, ताकि उन लोगों द्वारा इनका उपयोग करने के लिए अधिकृत न किया जा सके।
मुख्य न्यायाधीश एनवी अंजारिया और न्यायमूर्ति एमआई अरुण की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय प्रतीक और राष्ट्रीय चिह्न देश के गौरव, सम्मान और संप्रभुता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इसमें कहा गया है, “राष्ट्रीय प्रतीक और राष्ट्रीय चिह्न हमारे राष्ट्र और देश के गौरव और सम्मान का प्रतिनिधित्व करते हैं… इन प्रतीकों, प्रतीकों और नामों के दुरुपयोग, गलत चित्रण और गलत बयानबाजी को सख्ती से रोका जाना चाहिए।”
मुख्य न्यायाधीश एनवी अंजारिया और न्यायमूर्ति एमआई अरुण की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय प्रतीक और राष्ट्रीय चिह्न देश के गौरव, सम्मान और संप्रभुता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इसमें कहा गया है, “राष्ट्रीय प्रतीक और राष्ट्रीय चिह्न हमारे राष्ट्र और देश के गौरव और सम्मान का प्रतिनिधित्व करते हैं… इन प्रतीकों, प्रतीकों और नामों के दुरुपयोग, गलत चित्रण और गलत बयानबाजी को सख्ती से रोका जाना चाहिए।”
न्यायालय ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ पूर्व विधायक और पूर्व सरकारी अधिकारी भी ऐसे राष्ट्रीय प्रतीकों का दुरुपयोग करते देखे गए।
न्यायालय ने कहा, “यह सच और दुर्भाग्यपूर्ण है कि संवैधानिक अधिकारियों में यह प्रवृत्ति है कि जो पूर्व अधिकारी अब पद पर नहीं हैं, पूर्व संसद सदस्य या पूर्व विधायक अपने लेटर हेड और वाहनों की नंबर प्लेट में प्रतीक, झंडे, नाम आदि लगाकर उनका दुरुपयोग कर रहे हैं। यह आचरण दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय दोनों है। प्रतीकों, मुहरों, झंडों, प्रतीक और नामों के दुरुपयोग को विभिन्न स्थानों पर विभिन्न तरीकों से उनके अवैध और अनधिकृत प्रदर्शन के लिए रोका जाना चाहिए।”
न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय प्रतीकों के दुरुपयोग के विरुद्ध कानूनों जैसे प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950, भारत का राज्य प्रतीक (अनुचित प्रयोग का निषेध) अधिनियम, 2005 तथा संबंधित नियमों को सख्ती से लागू करके ऐसी स्थिति को तत्काल समाप्त करने की आवश्यकता है।